HCL Technologies के संस्थापक शिव नाडर ने अपनी दो प्रमोटर कंपनियों—वामा सुंदरी इन्वेस्टमेंट्स (दिल्ली) प्राइवेट लिमिटेड और HCL कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड में अपनी 47% हिस्सेदारी अपनी बेटी रोशनी नाडर मल्होत्रा को हस्तांतरित कर दी है। यह निर्णय उत्तराधिकार योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे रोशनी नाडर मल्होत्रा बहुमत हिस्सेदार बन जाएंगी और इन कंपनियों पर उनका नियंत्रण और मतदान अधिकार मजबूत होगा।
हिस्सेदारी हस्तांतरण का विवरण
- शामिल कंपनियां: वामा सुंदरी इन्वेस्टमेंट्स (दिल्ली) प्राइवेट लिमिटेड, HCL कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड
- हस्तांतरित हिस्सेदारी: प्रत्येक कंपनी में कुल 47% हिस्सेदारी
- हस्तांतरण की तिथि: 6 मार्च, 2025
इस लेनदेन से पहले, शिव नाडर के पास 51% हिस्सेदारी थी, जबकि रोशनी नाडर मल्होत्रा की हिस्सेदारी 10.33% थी। इस ट्रांसफर के बाद, रोशनी की हिस्सेदारी बढ़कर 57.33% हो गई और शिव नाडर की हिस्सेदारी घटकर 4% रह गई।
HCL टेक्नोलॉजीज और HCL इन्फोसिस्टम्स पर प्रभाव
HCL की प्रमोटर कंपनियां HCL Technologies और HCL Infosystems में महत्वपूर्ण स्वामित्व रखती हैं। यह ट्रांसफर रोशनी नाडर मल्होत्रा की स्थिति को मजबूत करता है और HCL ग्रुप में नेतृत्व के निरंतरता को बनाए रखने में मदद करेगा।
नियामक मंजूरी (Regulatory Approvals)
SEBI ने रोशनी नाडर मल्होत्रा को ओपन ऑफर से छूट प्रदान की, जिससे यह ट्रांसफर बिना किसी नियामक बाधा के संभव हो सका।
रोशनी नाडर मल्होत्रा: एक बिजनेस लीडर और समाजसेवी
रोशनी नाडर मल्होत्रा वर्ष 2020 से HCL Technologies की चेयरपर्सन हैं। उन्होंने नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से कम्युनिकेशन की डिग्री ली है और केलॉग स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से MBA किया है।
उनके नेतृत्व में, HCL टेक्नोलॉजीज ने वैश्विक विस्तार और जेंडर डायवर्सिटी को प्राथमिकता दी है। इसके अलावा, वे शिव नाडर फाउंडेशन और The Habitats Trust के माध्यम से शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी परोपकारी गतिविधियों में भी सक्रिय हैं।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
यह हिस्सेदारी ट्रांसफर क्यों महत्वपूर्ण है?
यह ट्रांसफर नाडर परिवार की उत्तराधिकार योजना का हिस्सा है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि HCL समूह का स्वामित्व और नियंत्रण परिवार के भीतर बना रहे।
इस ट्रांसफर से HCL टेक्नोलॉजीज के कॉरपोरेट स्ट्रक्चर पर क्या असर पड़ेगा?
इससे रोशनी नाडर मल्होत्रा को प्रमोटर कंपनियों पर अधिक नियंत्रण मिलेगा, जिससे HCL टेक्नोलॉजीज और HCL इन्फोसिस्टम्स में उनका प्रभाव और बढ़ जाएगा।
क्या इस ट्रांसफर में कोई नियामक चुनौतियां आईं?
नहीं, SEBI ने ओपन ऑफर से छूट दी, जिससे यह ट्रांसफर बिना किसी बाधा के संभव हुआ।
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